भूख से व्याकुल छात्रावास के बच्चों ने भीख मांगकर भरा पेट

सहरिया क्रांति ने बताया तब जागा प्रशासन

शिवपुरी

कल जब शिवपुरी के प्रभारी मंत्री रुस्तम सिंह शिवपुरी में विकास योजनाओं की समीक्षा क्र रहे थे , क्षेत्रीय संसद ज्योतिरादित्य क्षेत्र के दौरे पर आकर पुष्पहारों से लादे जा रहे थे उसी समय इसी शिवपुरी के आदिवासी बाहुल्य ग्राम सुरवाया में छात्रावास में रहने वाले 16 आदिवासी छात्र भूख से व्याकुल होकर शिवपुरी झांसी नेशनल हाइवे पर हाथ पसारकर  भीख मांग रहे थे। आज सहरिया क्रांति के सदस्यों ने जब इस बात से प्रशासन को अवगत कराया तब अधिकारीयों की नींद खुली और मौके पर जिला संयोजक आदिमजाति शिवांगी चतुर्वेदी पहुंचीं और उन्होंने बच्चों से रूबरू होकर  खुद छात्रावास की भयावह हकीकत जानी।  

शिवपुरी जिला मुख्यालय से मात्र 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित है शासकीय प्रीमेट्रिक बालक छात्रावास।  इस छात्रावास में आसपास के सहरिया आदिवासी बच्चे रहकर शिक्षा ग्रहण करते हैं।  इस छात्रावास का  केवल भवन आलीशान बना हुआ है उसके अतिरिक्त कोई भी व्यवस्था ऐसी नहीं है जो दुरस्त कही  जा सके।  पिछले लम्बे समय से छात्रावास का अधीक्षक वहां से अपने गांव गया हुआ है।  बच्चे भगवान भरोसे रह रहे हैं। अन्य परेशानियों को झेलने के आदि हो चुके इस छात्रावास में रह रहे 16 बच्चे उस समय भयभीत हो गए जब तीन दिन से रोटी बनाने के लिए आटा और ईंधन की लकड़ी भी खत्म हो गई।  रात की बची रूखी सूखी रोटी के आधे -आधे टुकड़े खाकर बच्चे स्कूल चले गए लेकिन जब स्कूल से लोटे तो चूल्हे की रख ठंडी थी , खाना बनाने को जब बच्चों ने रसोइया जवाहर आदिवासी से कहा तो उसने सर झुककर खा की मैं कहाँ  से तुम्हे खाना खिलाऊँ न तो आटा है और ना ही लकड़ी है। भूख से व्याकुल बच्चे जैसे तैसे बिस्तर पर पड़ गए , सुबह जब जागे तो फिर भूख मुंह बाएं खड़ी थी। अब घबराये  कुछ बच्चों ने रोना शुरू कर  दिया ,और वे सभी छात्रावास से निकलकर शिवपुरी झांसी नेशनल हाइवे पर स्थित दुकानों के आगे हाथ फैलाकर खड़े हो गए। हॉस्टल के छोटे छोटे बच्चों को हाथ फैलाये जब वहां स्थित दुकानदार मुकेश राठौर ने देखा तो उसने उन्हें खाने को कुछ पकोड़ी दे दीं वहीं स्थित डॉक्टर धाकड़ ने उन बच्चों को २ किलो आटा दिलवाया जिसे लेकर बच्चे पुनः हॉस्टल पहुंचे और रसोइया जवाहर को आटा दिया और जंगल से लकड़ी बीनकर लाये जवाहर ने उन्हें रोटी बनाकर दीं पर सब्जी की व्यबस्था नहीं हो सकीय तो बच्चों ने रूखी रोटी खाकर पेट की भूख शांत की।  भूखे प्यासे बच्चों की दशा देख रसोइया जवाहर की भी आँखें भर आईं और उसने अपने घर जाकर बच्चों को  अगले प्रहर का खाना बनबाया।  भूख से तड़पते छात्रावास के इन बच्चों की जानकारी रसोइया ने सुरवाया की आदिवासी बस्ती में सहरिया क्रांति के सदस्यों को दी जिस पर उन्होंने सहरिया क्रांति  संयोजक संजय बेचैन को अवगत कराया।  संजय बेचैन ने इस मामले को प्रशासन के संज्ञान में लाया , जिस सूचना पर संयोजक आदिमजाति शिवांगी चतुर्वेदी तत्काल छात्रावास पहुंची और बच्चों से रूबरू होकर मामले को जाना।


इनका कहना है
  बताया की यह सही है की बच्चे भूखे रहे और भीख मांग मांगकर खाना खा रहे हैं ,इस मामले में अधीक्षक को हटाया जा रहे हैं और उस पर विभागीय जाँच भी बैठाइ  जा रही है। यह संवेदन शील घटना है , यदि जाँच में आया तो आपराधिक प्रकरण दर्ज भी कराएंगे ।

--शिवांगी चतुर्वेदी जिला संयोजक आदिमजाति

 

Source : संजय बेचैन

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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